Expect nothing, live frugally on surprise.

Friday, October 24, 2008

और हर बाँध निरर्थक

रोक रखी थी आँखों में
उन बूँदों को

बड़ी मजबूत बाँध से
कुछ बूँदें ही हैं तो क्या ?

जज़्बात का दरिया है …
जो छलक गई बूँदें

तो एक-एक बूँद
एक तेज़ धार बन जाएगी

और हर बाँध निरर्थक ।

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