Expect nothing, live frugally on surprise.

Thursday, October 30, 2008

जीने का भी वक्त नही

हर खुशी है लोगो के दामन में,
पर एक हॅसी के लिए वक्त नही
दिन रात दौडती दुनिया में,
जिंदगी के लिए वक्त नही
मॉ की लोरी का एहसास तो है,
पर मॉं को मॉ कहने का वक्त नही

सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हे दफनाने का भी वक्त नही
सारे नाम मोबाइल मे है,
पर दोस्ती के लिए वक्त नही
गैरों की क्या बात करे,
जब अपनों के लिए ही वक्त नही

ऑंखो में है नींद बडी,
पर सोने के लिए वक्त नही
दिल तो है गमों से भरा
पर रोने का भी वक्त नही
पैसों की दौड में ऐसे दौडे,
की थकने का भी वक्त नही
पराए एहसानो की कदर करें कैसे,
जब अपने सपनों के लिए ही वक्त नही

तू ही बता ए जिंदगी,
इस जिंदगी का क्या होगा
की हर पल मरने वालों को,
जीने का भी वक्त नही

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