गम में स्वर का कम्पन हूँ मैं
आंसू से बना बादल हूँ मैं,
आंखों से बहा काजल हूँ मैं ,
घुंघरू जिसके तोड़े गीतों ने
वो टूटी हुई पायल हूँ मैं ।
दीपो के धुएँ की लकीर हूँ मैं,
रोते ह्रदयों का नीर हूँ मैं,
विरह में प्रेम की पीर हूँ मैं,
शीशे को टूटी तस्वीर हूँ मैं,
दस्तक दे जिसका बीता जीवन
वो टूटी हुई साँकल हूँ मैं ।
गम में स्वर का कम्पन हूँ मैं
धुंधला -धुंधला सा दर्पण हूँ मैं
आहत जो अपने तीरों से हुआ
उसकी आंखों का जल हूँ मैं ।
5 comments:
गम में स्वर का कम्पन हूँ मैं
धुंधला -धुंधला सा दर्पण हूँ मैं
आहत जो अपने तीरों से हुआ
उसकी आंखों का जल हूँ मैं ।
" these words have gone deep into my heart, deadly touching..."
Regards
very heart touchin avinash
nicely written
आहत जो अपने तीरों से हुआ
उसकी आंखों का जल हूँ मैं ।
what a touchin line are these.....very nice avi
well very heart n mind touchin poem..good
nice lines Avinash, very heart touching
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