Expect nothing, live frugally on surprise.

Wednesday, October 22, 2008

सीमा वही हो जो मन कहे


रिश्तों को सीमाओं में नहीं बाँधा करते
उन्हें झूँठी परिभाषाओं में नहीं ढाला करते


उडनें दो इन्हें उन्मुक्त पँछियों की तरह
बहती हुई नदी की तरह
तलाश करनें दो इन्हें अपनी सीमाएं
खुद ही ढूँढ लेंगे उपमाएँ


होनें दो वही जो क्षण कहे
सीमा वही हो जो मन कहे

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