Expect nothing, live frugally on surprise.

Sunday, October 26, 2008

फ़िर वही से शुरू हो जाता है !!

कितना हसीन होता है वह ख्वाब ,
जो कभी-कभी यूं ही आंखो में उतर के आता है
बीछा के कागज़ पर सितारों के हर्फ़
और चाँद के किरणों की रोशन स्याही को नाम ख़त का दिया जाता है ,
पता लिखा होता है इस में उस हद का जहाँ सब गुनाह माफ़ होते हैं ,
जुड़ता है रिश्ता सिर्फ़ रूह से रूह का

और सूरज से चमकते आखर सिर्फ़ मोहब्बत की जुबान होते हैं ,
बहती सी यह हवाएँ ले जाती है ख्यालों को वहाँ तक,
जहाँ लफ्जों का एक गुलिस्तां सा नज़र आता है
झर जाती है राख याद की और
एक घुलता हुआ धुआँ सब तरफ़ फैल जाता है
और तब अटकी हुई साँसों के साथएक अन्तहीन सफर,
जहाँ खत्म हुआ था फ़िर वही से शुरू हो जाता है !!

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