"बात बनाऊं कैसे"
"बात बनाऊं कैसे"
तुम अगर रूठ गयी हो तो मनाऊं कैसे,
बात जो मुझ से नही बनती बनाऊं कैसे..
इन्हीं फिकरों मैं मेरी रात कटी जाती है,
दिले-ऐ-बरबाद की तन्हाई हटाऊँ कैसे..
वो जो मिलता है सदियों में एक बार मुझे,
उसका हर बार ही इक वार बचौऊँ कैसे...
अपना दिल उसकी मोहब्बत में मैं हार चुका,
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
वो जो आया है तो अब उसको नहीं जाने दूँगा,
लोग पूछेंगे के मैं उस से मिला हूँ कैसे???????
तुम अगर रूठ गयी हो तो मनाऊं कैसे,
बात जो मुझ से नही बनती बनाऊं कैसे..
इन्हीं फिकरों मैं मेरी रात कटी जाती है,
दिले-ऐ-बरबाद की तन्हाई हटाऊँ कैसे..
वो जो मिलता है सदियों में एक बार मुझे,
उसका हर बार ही इक वार बचौऊँ कैसे...
अपना दिल उसकी मोहब्बत में मैं हार चुका,
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
वो जो आया है तो अब उसको नहीं जाने दूँगा,
लोग पूछेंगे के मैं उस से मिला हूँ कैसे???????
28 comments:
बात जो मुझ से नही बनती बनाऊं कैसे..
इन्हीं फिकरों मैं मेरी रात कटी जाती है,
waah
beautiful poem seema jee
Eagrds
Ashok,Kota
अपना दिल उसकी मोहब्बत में मैं हार चुका,
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
good as always
regards
वो जो आया है तो अब उसको नहीं जाने दूँगा,
लोग पूछेंगे के मैं उस से मिला हूँ कैसे???????
Beautiful lines
Nice poem as always seema jee..i always wait 4 ur poem
Sneha
Regards
good one
Regards
good as u always are mam
Regards
उसका हर बार ही इक वार बचौऊँ कैसे...
अपना दिल उसकी मोहब्बत में मैं हार चुका,
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
nice one
Regards
दिले-ऐ-बरबाद की तन्हाई हटाऊँ कैसे..
वो जो मिलता है सदियों में एक बार मुझे,
waah! Bahot Khoob
sundar rachna
बहुत लाजवाब ! शुभकामनाएं !
बहुत ख़ूब और बहुत बेहतर !
सुंदर कविता!
बहुत अच्छा है
beautiful poem
regards
lovely poem
bahot khoob
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
वो जो आया है तो अब उसको नहीं जाने दूँगा,
लोग पूछेंगे के मैं उस से मिला हूँ कैसे???????
Beautiful
beautiful composition
Regards
nice poem
Regards
उसका हर बार ही इक वार बचौऊँ कैसे...
अपना दिल उसकी मोहब्बत में मैं हार चुका,
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
nice one seema jee
Regards
nice as always
nice one mam
Regards
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा
बहुत ख़ूब और बहुत बेहतर !
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
waah bahot khoob
Dhanyavaad
nice as always seema jee
Regards
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
वो जो आया है तो अब उसको नहीं जाने दूँगा,
Bahot khoob
सुंदर कविता!
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