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Tuesday, November 25, 2008

"बात बनाऊं कैसे"




"बात बनाऊं कैसे"
तुम अगर रूठ गयी हो तो मनाऊं कैसे,
बात जो मुझ से नही बनती बनाऊं कैसे..
इन्हीं फिकरों मैं मेरी रात कटी जाती है,
दिले-ऐ-बरबाद की तन्हाई हटाऊँ कैसे..
वो जो मिलता है सदियों में एक बार मुझे,
उसका हर बार ही इक वार बचौऊँ कैसे...
अपना दिल उसकी मोहब्बत में मैं हार चुका,
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
वो जो आया है तो अब उसको नहीं जाने दूँगा,
लोग पूछेंगे के मैं उस से मिला हूँ कैसे???????

28 comments:

Dr.Nishi Chauhan November 25, 2008 at 9:45 AM  

बात जो मुझ से नही बनती बनाऊं कैसे..
इन्हीं फिकरों मैं मेरी रात कटी जाती है,
waah

Anonymous,  November 25, 2008 at 9:46 AM  

beautiful poem seema jee
Eagrds
Ashok,Kota

Er. Nidhi Mishra November 25, 2008 at 9:51 AM  

अपना दिल उसकी मोहब्बत में मैं हार चुका,
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
good as always
regards

Anonymous,  November 25, 2008 at 9:52 AM  

वो जो आया है तो अब उसको नहीं जाने दूँगा,
लोग पूछेंगे के मैं उस से मिला हूँ कैसे???????
Beautiful lines

Anonymous,  November 25, 2008 at 9:52 AM  

Nice poem as always seema jee..i always wait 4 ur poem
Sneha
Regards

Anonymous,  November 25, 2008 at 9:53 AM  

good one
Regards

Anonymous,  November 25, 2008 at 9:58 AM  

good as u always are mam
Regards

Puja November 25, 2008 at 10:05 AM  

उसका हर बार ही इक वार बचौऊँ कैसे...
अपना दिल उसकी मोहब्बत में मैं हार चुका,
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
nice one
Regards

Anonymous,  November 25, 2008 at 10:05 AM  

दिले-ऐ-बरबाद की तन्हाई हटाऊँ कैसे..
वो जो मिलता है सदियों में एक बार मुझे,
waah! Bahot Khoob

Anonymous,  November 25, 2008 at 10:06 AM  

sundar rachna

Anonymous,  November 25, 2008 at 10:10 AM  

बहुत लाजवाब ! शुभकामनाएं !

Anonymous,  November 25, 2008 at 10:11 AM  

बहुत ख़ूब और बहुत बेहतर !

Anonymous,  November 25, 2008 at 10:12 AM  

सुंदर कविता!

Anonymous,  November 25, 2008 at 10:13 AM  

बहुत अच्छा है

Anonymous,  November 25, 2008 at 5:32 PM  

bahot khoob

Dr. Aradhna November 25, 2008 at 5:51 PM  

नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
वो जो आया है तो अब उसको नहीं जाने दूँगा,
लोग पूछेंगे के मैं उस से मिला हूँ कैसे???????
Beautiful

Anonymous,  November 25, 2008 at 7:00 PM  

nice poem
Regards

Er. Paayal Sharma November 25, 2008 at 7:41 PM  

उसका हर बार ही इक वार बचौऊँ कैसे...
अपना दिल उसकी मोहब्बत में मैं हार चुका,
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
nice one seema jee
Regards

Anonymous,  November 25, 2008 at 9:25 PM  

nice one mam
Regards

Anonymous,  November 25, 2008 at 10:20 PM  

नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा
बहुत ख़ूब और बहुत बेहतर !

Dr. Palki Vajpayee November 25, 2008 at 10:40 PM  

नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
waah bahot khoob
Dhanyavaad

Anonymous,  November 26, 2008 at 4:23 PM  

और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
वो जो आया है तो अब उसको नहीं जाने दूँगा,
Bahot khoob

Anonymous,  November 26, 2008 at 6:52 PM  

सुंदर कविता!

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