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Monday, December 8, 2008

"ख्वाबों के आँगन "


"ख्वाबों के आँगन "
ख्वाबों के आँगन ने अपना
कुछ ऐसे फ़िर विस्तार किया,
वर्तमान ने हकीक़त ,
का दामन ठुकराया ,
अस्तित्व ने अपने,
सामर्थ्य से मुख फैरा,
शीशमहल का निर्माण किया...
विवशता का परित्याग कर ,
दर्पण मचला जिज्ञासा का,
भ्रम की आगोश मे,
मनमोहक श्रिंगार किया ...
बहते दरिया की भूमि पर ,
इक नीवं बना अरमानो की,
हर तर्ष्णा को पा लेने का,
निरर्थक एक प्रयास किया ...
ख्वाबों के आँगन ने अपना
कुछ ऐसे फ़िर विस्तार किया.........


19 comments:

Anonymous,  December 8, 2008 at 9:21 AM  

इक नीवं बना अरमानो की,
हर तर्ष्णा को पा लेने का,
निरर्थक एक प्रयास किया

Anonymous,  December 8, 2008 at 9:21 AM  

ख्वाबों के आँगन ने अपना
कुछ ऐसे फ़िर विस्तार किया.........

Dr. Pragya bajaj December 8, 2008 at 9:24 AM  

हर तर्ष्णा को पा लेने का,
निरर्थक एक प्रयास किया ...
ख्वाबों के आँगन ने अपना
कुछ ऐसे फ़िर विस्तार किया.........

Outstanding

Puja December 8, 2008 at 2:22 PM  

निरर्थक एक प्रयास किया ...
ख्वाबों के आँगन ने अपना

Er. Nidhi Mishra December 8, 2008 at 2:58 PM  

ख्वाबों के आँगन ने अपना
कुछ ऐसे फ़िर विस्तार किया,
वर्तमान ने हकीक़त ,
का दामन ठुकराया ,

Anonymous,  December 8, 2008 at 2:58 PM  

हर तर्ष्णा को पा लेने का,
निरर्थक एक प्रयास किया ...

Prachi Pandey December 8, 2008 at 3:06 PM  

शीशमहल का निर्माण किया...
विवशता का परित्याग कर ,
दर्पण मचला जिज्ञासा का,
भ्रम की आगोश मे,

Anonymous,  December 8, 2008 at 3:06 PM  

इक नीवं बना अरमानो की,
हर तर्ष्णा को पा लेने का,
निरर्थक एक प्रयास किया ...
ख्वाबों के आँगन ने अपना
कुछ ऐसे फ़िर विस्तार किया.........

अविनाश December 8, 2008 at 3:11 PM  

शीशमहल का निर्माण किया...
विवशता का परित्याग कर ,
दर्पण मचला जिज्ञासा का,
भ्रम की आगोश मे,
good composition mam
THX & REGARDS

Anonymous,  December 8, 2008 at 3:33 PM  

निरर्थक एक प्रयास किया ...
ख्वाबों के आँगन ने अपना
Lovely
Ashok,Kota

Anonymous,  December 8, 2008 at 6:10 PM  

निरर्थक एक प्रयास किया ...
ख्वाबों के आँगन ने अपना

Dr.Nishi Chauhan December 8, 2008 at 6:12 PM  

इक नीवं बना अरमानो की,
हर तर्ष्णा को पा लेने का,
Good lines
Regards

Er. Paayal Sharma December 8, 2008 at 7:48 PM  

हर तर्ष्णा को पा लेने का,
निरर्थक एक प्रयास किया ...

Dr.Nishi Chauhan December 9, 2008 at 11:41 AM  

भ्रम की आगोश मे,
मनमोहक श्रिंगार किया ...
बहते दरिया की भूमि पर ,
इक नीवं बना अरमानो की,

Anonymous,  December 9, 2008 at 2:21 PM  

ख्वाबों के आँगन ने अपना
कुछ ऐसे फ़िर विस्तार किया.........

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