Expect nothing, live frugally on surprise.

Tuesday, December 16, 2008



"द्रष्टि"
अनंतकाल से ये द्रष्टि
प्रतीक्षा पग पर अडिग ,
पलकों के आंचल से
सर को ढांक ,
आतुरता की सीमा लाँघ
अविरल अश्रुधारा मे
डूबती , तरती , उभरती ,
व्याकुलता की ऊँचाइयों को छु
प्रतीक्षाक्षण से तकरार करती
तुम्हारी इक आभा को प्यासी
अनंतकाल से ये द्रष्टि
प्रतीक्षा पग पर ....

20 comments:

अविनाश December 16, 2008 at 12:35 PM  

तुम्हारी इक आभा को प्यासी
अनंतकाल से ये द्रष्टि

Anonymous,  December 16, 2008 at 12:36 PM  

अनंतकाल से ये द्रष्टि
प्रतीक्षा पग पर अडिग ,
पलकों के आंचल से
सर को ढांक ,
beautiful composition

Er. Nidhi Mishra December 16, 2008 at 12:41 PM  

प्रतीक्षाक्षण से तकरार करती
तुम्हारी इक आभा को प्यासी
अनंतकाल से ये द्रष्टि
प्रतीक्षा पग पर ....

Dr. Neha Srivastav December 16, 2008 at 7:18 PM  

प्रतीक्षाक्षण से तकरार करती
तुम्हारी इक आभा को प्यासी
अनंतकाल से ये द्रष्टि
प्रतीक्षा पग पर ....

Puja December 16, 2008 at 9:20 PM  

व्याकुलता की ऊँचाइयों को छु
प्रतीक्षाक्षण से तकरार करती
तुम्हारी इक आभा को प्यासी
अनंतकाल से ये द्रष्टि

Puja December 16, 2008 at 9:20 PM  

too good as always regards

Prachi Pandey December 17, 2008 at 2:51 AM  

प्रतीक्षाक्षण से तकरार करती
तुम्हारी इक आभा को प्यासी
अनंतकाल से ये द्रष्टि
प्रतीक्षा पग पर ....

Anonymous,  December 17, 2008 at 11:10 AM  

तुम्हारी इक आभा को प्यासी
अनंतकाल से ये द्रष्टि

Dr. Palki Vajpayee December 17, 2008 at 11:20 AM  

डूबती , तरती , उभरती ,
व्याकुलता की ऊँचाइयों को छु

Ashok December 17, 2008 at 11:44 AM  

डूबती , तरती , उभरती ,
व्याकुलता की ऊँचाइयों को छु

Anonymous,  December 17, 2008 at 2:24 PM  

तुम्हारी इक आभा को प्यासी
अनंतकाल से ये द्रष्टि

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) December 19, 2008 at 12:23 AM  

मैं तो समझ ही नही पा रहा...कि सीमा जी आप कहाँ-कहाँ हो......अरे-रे-रे-रे-रे-..........मेरा "मतबल" है कि आप कहाँ नहीं हो.....ऐसा करो ना....आप मेरे भी ब्लॉग पर आ जाओ ना प्लीज़.....!!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) December 19, 2008 at 12:29 AM  

Your comment has been saved and will be visible after blog owner approval. लो कर लो बात ............यहाँ भी "ऑनर" की स्वीकृति.....!!!बाप-रे-बाप.....मैं तो नही आता यहाँ....ऐसा लगता है....कि दरवाज़ा खटखटाकर आऊँ.....या गला खंखारकर कि मैं आ रहा हूँ.....सब सावधान.....सीमा जी.....ये क्या है भाई...ब्लॉग हमारा दूसरा घर है.....यहाँ आकर कहने की अनुमति......!!?? अरे आपको नहीं समझ आए तो टिप्पणी हटा दो ना....!!बस....!!

Anonymous,  December 19, 2008 at 1:46 PM  

प्रतीक्षाक्षण से तकरार करती
तुम्हारी इक आभा को प्यासी
अनंतकाल से ये द्रष्टि
प्रतीक्षा पग पर ....

Dr. Aradhna December 19, 2008 at 1:49 PM  

डूबती , तरती , उभरती ,
व्याकुलता की ऊँचाइयों को छु
प्रतीक्षाक्षण से तकरार करती
तुम्हारी इक आभा को प्यासी

Er. Snigddha Aggarwal December 19, 2008 at 1:52 PM  

आतुरता की सीमा लाँघ
अविरल अश्रुधारा मे
डूबती , तरती , उभरती ,
व्याकुलता की ऊँचाइयों को छु

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