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Friday, January 2, 2009

"कैसे तुम्हे भुलाऊ "


"कैसे तुम्हे भुलाऊ "

गर ऐसे याद करोगी मुझको,
कैसे मै जी पाउँगा ? ??

ये शब्द तुम्हारे ....
बाँध तोड़ संयम के सारे ,
बीते लम्हों के कालीन बिछाएं ,

मौन स्वरों के गलियारे मे ,
यादो के घाव पग धरते जायें,

सान्निध्य का एहसास तुम्हारा
विचलित कर मन को भरमाये ,

संकल्प तुम्हारे नर्त्य करे और ,
बोल गूंज कर प्रणय गीत सुनाये
"कैसे तुम्हे भुलाऊ






29 comments:

Anonymous,  January 2, 2009 at 10:03 AM  

मौन स्वरों के गलियारे मे ,
यादो के घाव पग धरते जायें,

Er. Nidhi Mishra January 2, 2009 at 10:22 AM  

सान्निध्य का एहसास तुम्हारा
विचलित कर मन को भरमाये ,

Anouska Awasthi January 2, 2009 at 11:44 AM  

मौन स्वरों के गलियारे मे ,
यादो के घाव पग धरते जायें,

सान्निध्य का एहसास तुम्हारा
विचलित कर मन को भरमाये
very well composed lines
Regards

Pallavi January 2, 2009 at 12:11 PM  

सान्निध्य का एहसास तुम्हारा
विचलित कर मन को भरमाये ,

संकल्प तुम्हारे नर्त्य करे और ,
बोल गूंज कर प्रणय गीत सुनाये
"कैसे तुम्हे भुलाऊ

Jyoti Dixit January 2, 2009 at 12:22 PM  

ये शब्द तुम्हारे ....
बाँध तोड़ संयम के सारे ,
बीते लम्हों के कालीन बिछाएं

Anonymous,  January 2, 2009 at 12:24 PM  

मौन स्वरों के गलियारे मे ,
यादो के घाव पग धरते जायें,

सान्निध्य का एहसास तुम्हारा
विचलित कर मन को भरमाये ,

Radhika January 2, 2009 at 1:28 PM  

ये शब्द तुम्हारे ....
बाँध तोड़ संयम के सारे ,
बीते लम्हों के कालीन बिछाएं

Radhika January 2, 2009 at 1:32 PM  

Fantastic Blog Hats off 2 u all...

Dr.Nishi Chauhan January 2, 2009 at 2:00 PM  

सान्निध्य का एहसास तुम्हारा
विचलित कर मन को भरमाये ,

संकल्प तुम्हारे नर्त्य करे और ,
बोल गूंज कर प्रणय गीत सुनाये
"कैसे तुम्हे भुलाऊ

Anonymous,  January 2, 2009 at 2:20 PM  

ये शब्द तुम्हारे ....
बाँध तोड़ संयम के सारे ,
बीते लम्हों के कालीन बिछाएं

Puja January 2, 2009 at 6:20 PM  

मौन स्वरों के गलियारे मे ,
यादो के घाव पग धरते जायें,

Swati January 2, 2009 at 6:36 PM  

संकल्प तुम्हारे नर्त्य करे और ,
बोल गूंज कर प्रणय गीत सुनाये
"कैसे तुम्हे भुलाऊ

Dr. Pragya bajaj January 2, 2009 at 7:36 PM  

yet again u came with beautiful composition
Congrats

Dr. Pragya bajaj January 2, 2009 at 7:37 PM  

सान्निध्य का एहसास तुम्हारा
विचलित कर मन को भरमाये ,

Er. Paayal Sharma January 3, 2009 at 12:28 AM  

संकल्प तुम्हारे नर्त्य करे और ,
बोल गूंज कर प्रणय गीत सुनाये
"कैसे तुम्हे भुलाऊ

Ashok January 3, 2009 at 10:46 AM  

मौन स्वरों के गलियारे मे ,
यादो के घाव पग धरते जायें,

सान्निध्य का एहसास तुम्हारा
विचलित कर मन को भरमाये ,

Dr. Neha Srivastav January 3, 2009 at 11:07 AM  

well composed
Happy new year seema jee
Regards

Er. Snigddha Aggarwal January 3, 2009 at 1:05 PM  

संकल्प तुम्हारे नर्त्य करे और ,
बोल गूंज कर प्रणय गीत सुनाये
"कैसे तुम्हे भुलाऊ

अविनाश January 4, 2009 at 7:53 AM  

सान्निध्य का एहसास तुम्हारा
विचलित कर मन को भरमाये
nicely written
Regards

Prachi Pandey January 5, 2009 at 2:35 PM  

सान्निध्य का एहसास तुम्हारा
विचलित कर मन को भरमाये ,

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