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Monday, January 5, 2009

"वेदना का वृक्ष"


"वेदना का वृक्ष"

विद्रोह कर आंसुओ ने,
नैनो मे ढलने से इंकार किया
ओर सिसकियाँ भी
कंठ को अवरुद्ध करके सो गयी
स्वर का भी मार्गदर्शन
शब्दों ने किया नही
भाव भंगिमाएं भी रूठ कर
लुप्त कहीं हो गयी
अनुभूतियों का स्पंदन भी
तपस्या में विलीन हुआ
वेदना के वृक्ष की ऊँचाइयों को
स्पर्श दिल ने जब किया .......

12 comments:

Anonymous,  January 5, 2009 at 10:07 AM  

kya baat hai...
claps !!!

Shreya Rajput January 5, 2009 at 2:23 PM  

स्वर का भी मार्गदर्शन
शब्दों ने किया नही
भाव भंगिमाएं भी रूठ कर
लुप्त कहीं हो गयी

Prachi Pandey January 5, 2009 at 2:32 PM  

अनुभूतियों का स्पंदन भी
तपस्या में विलीन हुआ
वेदना के वृक्ष की ऊँचाइयों को
स्पर्श दिल ने जब किया .......
well composed

Anonymous,  January 5, 2009 at 3:58 PM  

अनुभूतियों का स्पंदन भी
तपस्या में विलीन हुआ
वेदना के वृक्ष की ऊँचाइयों को
स्पर्श दिल ने जब किया .......

Ashok January 5, 2009 at 5:32 PM  

लुप्त कहीं हो गयी
अनुभूतियों का स्पंदन भी
तपस्या में विलीन हुआ
वेदना के वृक्ष की ऊँचाइयों को
स्पर्श दिल ने जब किया .......

Dr.Nishi Chauhan January 5, 2009 at 7:22 PM  

शब्दों ने किया नही
भाव भंगिमाएं भी रूठ कर
लुप्त कहीं हो गयी
अनुभूतियों का स्पंदन भी
तपस्या में विलीन हुआ

Dr. Palki Vajpayee January 6, 2009 at 12:43 PM  

अनुभूतियों का स्पंदन भी
तपस्या में विलीन हुआ
वेदना के वृक्ष की ऊँचाइयों को
स्पर्श दिल ने जब किया .......

Radhika January 6, 2009 at 1:10 PM  

स्वर का भी मार्गदर्शन
शब्दों ने किया नही
भाव भंगिमाएं भी रूठ कर
लुप्त कहीं हो गयी

Anonymous,  January 6, 2009 at 2:31 PM  

beautiful lines... ur a gem.. seema jee

Anonymous,  January 6, 2009 at 2:31 PM  

beautiful lines... ur a gem.. seema jee

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