"झील को दर्पण बना"
रात के स्वर्णिम पहर में
झील को दर्पण बना
चाँद जब बादलो से निकल
श्रृंगार करता होगा
चांदनी का ओढ़ आँचल
चाँद जब बादलो से निकल
श्रृंगार करता होगा
चांदनी का ओढ़ आँचल
धरा भी इतराती तो होगी...
मस्त पवन की अंगडाई
दरख्तों के झुरमुट में छिप कर
परिधान बदल बदल
परिधान बदल बदल
मन को गुदगुदाती तो होगी.....
नदिया पुरे वेग मे बह
किनारों से टकरा टकरा
दीवाने दिल के धड़कने का
दीवाने दिल के धड़कने का
सबब सुनाती तो होगी .....
खामोशी की आगोश मे
रात जब पहरों में ढलती होगी
ओस की बूँदें दूब के बदन पे
ओस की बूँदें दूब के बदन पे
फिसल लजाती तो होगी ......
दूर बजती किसी बंसी की धुन
पायल की रुनझुन और सरगम
अनजानी सी कोई आहट आकर
तुम्हे मेरी याद दिलाती तो होगी.....
24 comments:
खामोशी की आगोश मे
रात जब पहरों में ढलती होगी
ओस की बूँदें दूब के बदन पे
फिसल लजाती तो होगी ......
sundar rachna seema jee
बेहतरीन रचना सीमा जी, सुंदर
धन्यवाद
वाह क्या बात है, सुंदर रचना
शुक्रिया
सुंदर रचना सीमाजी
धन्यवाद
वाह! बहुत सुंदर कविता
khoobsorat rachna
नदिया पुरे वेग मे बह
किनारों से टकरा टकरा
दीवाने दिल के धड़कने का
सबब सुनाती तो होगी .....
रात के स्वर्णिम पहर में
झील को दर्पण बना
चाँद जब बादलो से निकल
श्रृंगार करता होगा
चांदनी का ओढ़ आँचल
धरा भी इतराती तो होगी
खामोशी की आगोश मे
रात जब पहरों में ढलती होगी
ओस की बूँदें दूब के बदन पे
फिसल लजाती तो होगी ......
सुंदर रचना सीमा जी, आपकी कविताओ मे बहुत भावनाए होती है.
ध्नयवाद
खामोशी की आगोश मे
रात जब पहरों में ढलती होगी
ओस की बूँदें दूब के बदन पे
फिसल लजाती तो होगी ......
good clicks n info
खामोशी की आगोश मे
रात जब पहरों में ढलती होगी
ओस की बूँदें दूब के बदन पे
फिसल लजाती तो होगी ......
sundar rachna seema jee
baatein bhul jaati hai
yaadein yaad aati hai...
:)
सुन्दर रचना सीमाजी, एक बेतरीन कविता
शुक्रिया
नदिया पुरे वेग मे बह
किनारों से टकरा टकरा
दीवाने दिल के धड़कने का
सबब सुनाती तो होगी .....
खामोशी की आगोश मे
रात जब पहरों में ढलती होगी
ओस की बूँदें दूब के बदन पे
फिसल लजाती तो होगी
sundar seemajee
मस्त पवन की अंगडाई
दरख्तों के झुरमुट में छिप कर
परिधान बदल बदल
मन को गुदगुदाती तो होगी.....
bahut khub
दूर बजती किसी बंसी की धुन
पायल की रुनझुन और सरगम
अनजानी सी कोई आहट आकर
तुम्हे मेरी याद दिलाती तो होगी
Seema ji ,
bahut sundar geet. man kee bhavnaon men shabdon ke pankh lagane kee kala apke geeton ko khoobsooratee pradan kartee hai.
Hemant Kumar
खामोशी की आगोश मे
रात जब पहरों में ढलती होगी
ओस की बूँदें दूब के बदन पे
फिसल लजाती तो होगी ......
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