तुम बिन
साजों मे भी अब तार नही..
बिखरी हुई रचनाएँ हैं सारी,
शब्दों मे भी वो सार नही...
जज्बातों का उल्लेख करूं क्या ,
भावों मे मिलता करार नही...
तुम अनजानी अभिलाषा मेरी,
क्यूँ सुनते मेरी पुकार नही ...
हर राह पे जैसे पदचाप तुम्हारी ,
रोकूँ कैसे अधिकार नही ...
तर्ष्णा प्यासी एक नज़र को तेरी,
मिलने के मगर आसार नही.....
14 comments:
हर गीत अधुरा तुम बिन मेरा,
साजों मे भी अब तार नही..
lovely lines mam
Regards
तुम अनजानी अभिलाषा मेरी,
क्यूँ सुनते मेरी पुकार नही ...
बिखरी हुई रचनाएँ हैं सारी,
शब्दों मे भी वो सार नही...
जज्बातों का उल्लेख करूं क्या ,
भावों मे मिलता करार नही...
हर गीत अधुरा तुम बिन मेरा,
साजों मे भी अब तार नही..
बिखरी हुई रचनाएँ हैं सारी,
शब्दों मे भी वो सार नही
Lovely seema jee, how did u knew my condition?
तर्ष्णा प्यासी एक नज़र को तेरी,
मिलने के मगर आसार नही.....
lovely compostion
Regards
हर राह पे जैसे पदचाप तुम्हारी ,
रोकूँ कैसे अधिकार नही ...
तर्ष्णा प्यासी एक नज़र को तेरी,
मिलने के मगर आसार नही.....
तर्ष्णा प्यासी एक नज़र को तेरी,
मिलने के मगर आसार नही.....
waah!!
nice one mam as always
Regards
तुम अनजानी अभिलाषा मेरी,
क्यूँ सुनते मेरी पुकार नही ...
nice one.....
जज्बातों का उल्लेख करूं क्या ,
भावों मे मिलता करार नही...
तुम अनजानी अभिलाषा मेरी,
क्यूँ सुनते मेरी पुकार नही ...
हर राह पे जैसे पदचाप तुम्हारी ,
रोकूँ कैसे अधिकार नही ...
too good mam...I Really like ur poem
Thx & Regards
भावों मे मिलता करार नही...
तुम अनजानी अभिलाषा मेरी,
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