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Saturday, December 6, 2008

तुम बिन

हर गीत अधुरा तुम बिन मेरा,

साजों मे भी अब तार नही..
बिखरी हुई रचनाएँ हैं सारी,
शब्दों मे भी वो सार नही...
जज्बातों का उल्लेख करूं क्या ,
भावों मे मिलता करार नही...
तुम अनजानी अभिलाषा मेरी,
क्यूँ सुनते मेरी पुकार नही ...
हर राह पे जैसे पदचाप तुम्हारी ,
रोकूँ कैसे अधिकार नही ...
तर्ष्णा प्यासी एक नज़र को तेरी,
मिलने के मगर आसार नही.....

14 comments:

Prachi Pandey December 6, 2008 at 2:16 PM  

हर गीत अधुरा तुम बिन मेरा,
साजों मे भी अब तार नही..
lovely lines mam
Regards

Anonymous,  December 6, 2008 at 2:17 PM  

तुम अनजानी अभिलाषा मेरी,
क्यूँ सुनते मेरी पुकार नही ...

Anonymous,  December 6, 2008 at 2:17 PM  

बिखरी हुई रचनाएँ हैं सारी,
शब्दों मे भी वो सार नही...
जज्बातों का उल्लेख करूं क्या ,
भावों मे मिलता करार नही...

अविनाश December 6, 2008 at 2:24 PM  

हर गीत अधुरा तुम बिन मेरा,
साजों मे भी अब तार नही..
बिखरी हुई रचनाएँ हैं सारी,
शब्दों मे भी वो सार नही
Lovely seema jee, how did u knew my condition?

Dr. Pragya bajaj December 6, 2008 at 2:33 PM  

तर्ष्णा प्यासी एक नज़र को तेरी,
मिलने के मगर आसार नही.....

Anonymous,  December 6, 2008 at 2:38 PM  

हर राह पे जैसे पदचाप तुम्हारी ,
रोकूँ कैसे अधिकार नही ...
तर्ष्णा प्यासी एक नज़र को तेरी,
मिलने के मगर आसार नही.....

Dr. Neha Srivastav December 6, 2008 at 4:12 PM  

तर्ष्णा प्यासी एक नज़र को तेरी,
मिलने के मगर आसार नही.....
waah!!

Puja December 6, 2008 at 6:37 PM  

nice one mam as always
Regards

Puja December 6, 2008 at 6:38 PM  

तुम अनजानी अभिलाषा मेरी,
क्यूँ सुनते मेरी पुकार नही ...

Prachi Pandey December 6, 2008 at 8:38 PM  

जज्बातों का उल्लेख करूं क्या ,
भावों मे मिलता करार नही...

Dr. Palki Vajpayee December 6, 2008 at 8:40 PM  

तुम अनजानी अभिलाषा मेरी,
क्यूँ सुनते मेरी पुकार नही ...
हर राह पे जैसे पदचाप तुम्हारी ,
रोकूँ कैसे अधिकार नही ...
too good mam...I Really like ur poem
Thx & Regards

Anonymous,  December 6, 2008 at 8:41 PM  

भावों मे मिलता करार नही...
तुम अनजानी अभिलाषा मेरी,

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