Expect nothing, live frugally on surprise.

Saturday, December 27, 2008

"हाल-ऐ-दिल"


"हाल-ऐ-दिल"

पलकों पे आए और भिगाते चले गए,
आंसू तुम्हारे फूल खिलाते चले गए..

तुमने कहा था हाल-ऐ-दिल हम बयाँ करें
हम पूरी रात तुम को बताते चले गए...

मुद्द्त के बाद बोझील पलकें हो जो रही,
हम लोरियों से तुम को सुलाते चले गए...

तुम्ही को सोचते हुए रहने लगे हैं हम,
तुम्ही के अक्स दिल में बसाते चले गए....

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए .........

16 comments:

Prachi Pandey December 28, 2008 at 1:35 PM  

मुद्द्त के बाद बोझील पलकें हो जो रही,
हम लोरियों से तुम को सुलाते चले गए...

Dr. Pragya bajaj December 28, 2008 at 1:40 PM  

तुम्ही को सोचते हुए रहने लगे हैं हम,
तुम्ही के अक्स दिल में बसाते चले गए....

Puja December 28, 2008 at 3:27 PM  

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए .........

अविनाश December 28, 2008 at 6:57 PM  

तुमने कहा था हाल-ऐ-दिल हम बयाँ करें
हम पूरी रात तुम को बताते चले गए...

Er. Paayal Sharma December 28, 2008 at 7:46 PM  

तुम्ही को सोचते हुए रहने लगे हैं हम,
तुम्ही के अक्स दिल में बसाते चले गए....

Dr. Neha Srivastav December 28, 2008 at 10:00 PM  

मुद्द्त के बाद बोझील पलकें हो जो रही,
हम लोरियों से तुम को सुलाते चले गए...
lovely lines

Anonymous,  December 28, 2008 at 11:37 PM  

मुद्द्त के बाद बोझील पलकें हो जो रही,
हम लोरियों से तुम को सुलाते चले गए...

Dr.Nishi Chauhan December 28, 2008 at 11:51 PM  

तुम्ही को सोचते हुए रहने लगे हैं हम,
तुम्ही के अक्स दिल में बसाते चले गए....

Er. Nidhi Mishra December 29, 2008 at 1:09 PM  

तुम्ही को सोचते हुए रहने लगे हैं हम,
तुम्ही के अक्स दिल में बसाते चले गए....

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए
good as always Regards

Rohit Sharma December 30, 2008 at 12:13 AM  

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए .........

Shreya Rajput January 2, 2009 at 6:22 PM  

तुम्ही को सोचते हुए रहने लगे हैं हम,
तुम्ही के अक्स दिल में बसाते चले गए....

अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए .........

सुशील छौक्कर February 4, 2009 at 4:55 PM  

भावों से भरी रचना।
अब यूँ सता रहा है हमें एक ख़याल ही,
हम तुम पे अपना बोझ बढाते चले गए

बहुत ही खूब। फोटो भी सुन्दर।

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