All about India's capital.
भावों से भी व्यक्त ना हो,
ना अक्षर में बांधा जाए
खामोशी की व्याकरण बांची
अर्थ नही कोई मिलपाये
अश्रु से भी प्रकट ना हो
ना अधरों से छलका जाए
मौन आवरण मे सिमटा
ये प्रेम प्रतिपल सकुचाये
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33 comments:
bahut sundar.....
Bahut sundar bhav ..bahut-2 badhai ...
Beautiful feeling enveloping the poem ,well written !!! thnx a lot for sharing ..
अश्रु से भी प्रकट ना हो
ना अधरों से छलका जाए
मौन आवरण मे सिमटा
ये प्रेम प्रतिपल सकुचाये
मौन आवरण मे सिमटा
ये प्रेम प्रतिपल सकुचाये
मौन आवरण मे सिमटा
ये प्रेम प्रतिपल सकुचाये
sundar rachna
भावों से भी व्यक्त ना हो,
ना अक्षर में बांधा जाए
खामोशी की व्याकरण बांची
अर्थ नही कोई मिलपाये
भावों से भी व्यक्त ना हो,
ना अक्षर में बांधा जाए
खामोशी की व्याकरण बांची
haann...bahut sundar...
Dr Nishi
thanks a tonne 4 passing by my blog..all the best to u and friends..
भावों से भी व्यक्त ना हो,
ना अक्षर में बांधा जाए
खामोशी की व्याकरण बांची
अर्थ नही कोई मिलपाये
अश्रु से भी प्रकट ना हो
ना अधरों से छलका जाए
खामोशी की व्याकरण बांची
अर्थ नही कोई मिलपाये
सफल प्रयास, सून्दर कविता, बहुत अच्छा लगा
धन्यवाद
वाह क्या बात है!!हमेशा की तरह एक और बेहतरीन कविता, सुन्दर रचना
धन्यवाद
प्रेम भाव की सुन्दर अभिव्यक्ति. बेहतरीन रचना. बहूत स्फल प्रयास. धन्यवाद
nice composition
very well xpressed
regards
प्रेम को बहुत ही सहज भाव सी आपने प्रकट किया है सीमाजी. हमेशा के तरह एक बेतरीन कविता.
धन्यवाद
प्रेम को व्यक्त करना सचमुच मे एक मुस्किल भरा कार्य हे. आपने इसे बहुत सरलता से और शब्दो का माया जाल बुन के किया है सीमाजी
धन्यवाद
अर्थ नही कोई मिलपाये
अश्रु से भी प्रकट ना हो
ना अधरों से छलका जाए
मौन आवरण मे सिमटा
sundar rachna
Regards
सुंदर कविता. एक बेतरीन और सफल प्रयास सीमाजी
धन्यवाद
भावों से भी व्यक्त ना हो,
ना अक्षर में बांधा जाए
खामोशी की व्याकरण बांची
अर्थ नही कोई मिलपाये
सुंदर रचना. प्रेम भाव का सफल प्रयास. धनयवाद
अश्रु से भी प्रकट ना हो
ना अधरों से छलका जाए
मौन आवरण मे सिमटा
ये प्रेम प्रतिपल सकुचाये
मौन आवरण मे सिमटा
ये प्रेम प्रतिपल सकुचाये
सुंदर रचना एक बेहतरीन प्रयास सीमाजी.
धन्यवाद
अश्रु से भी प्रकट ना हो
ना अधरों से छलका जाए
मौन आवरण मे सिमटा
ये प्रेम प्रतिपल सकुचाये
sundar rachna
मौन आवरण मे सिमटा
ये प्रेम प्रतिपल सकुचाये
अश्रु से भी प्रकट ना हो
ना अधरों से छलका जाए
मौन आवरण मे सिमटा
ये प्रेम प्रतिपल सकुचाये
मौन आवरण मे सिमटा
ये प्रेम प्रतिपल सकुचाये
अश्रु से भी प्रकट ना हो
ना अधरों से छलका जाए
मौन आवरण मे सिमटा
ये प्रेम प्रतिपल सकुचाये
एक अहसास ये भी होता है।
बहुत उम्दा।
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