Expect nothing, live frugally on surprise.

Wednesday, January 21, 2009

"बस यूँही ......"

है बडा दिलनशी प्यार का सिलसिला ,

मेरे दिल को है तेरे दिल से मिला .
तुम मुझे बस यूँही प्यार करते रहो ,
बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......

दिन गुज़र जाने पर रात होती है यूँ ,
दिल से तेरे मेरी बात होती है यूँ ,
मुझसे तुम बस यूँही बात करते रहो

बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......

मेरी दुनिया को था बस तेरा इंतज़ार ,
इसको महका दिया तुने जाने बहार ,
इस चमन में खड़े मुस्कुराते रहो ,

बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही

38 comments:

Dr. Aradhna January 21, 2009 at 10:31 AM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

Er. Snigddha Aggarwal January 21, 2009 at 10:38 AM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,


बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......

Anonymous,  January 21, 2009 at 10:48 AM  

मेरी दुनिया को था बस तेरा इंतज़ार ,
इसको महका दिया तुने जाने बहार ,
इस चमन में खड़े मुस्कुराते रहो ,

Vinay January 21, 2009 at 11:37 AM  

सीमा जी का अन्दाज़ जुदा है


---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम

Vinay January 21, 2009 at 11:37 AM  

सीमा जी का अन्दाज़ जुदा है


---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम

Anouska Awasthi January 21, 2009 at 5:29 PM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,


बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......

Anonymous,  January 21, 2009 at 5:42 PM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,


बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......

Anita January 21, 2009 at 6:13 PM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

एक सुंदर रचना सीमाजी.
धन्यवाद

Parul January 21, 2009 at 7:07 PM  

बेहतरीन रचना, एक सुंदर और सफल प्रयास सीमाजी,
धन्यवाद

Anonymous,  January 21, 2009 at 9:23 PM  

दिन गुज़र जाने पर रात होती है यूँ ,
दिल से तेरे मेरी बात होती है यूँ ,
मुझसे तुम बस यूँही बात करते रहो


बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......

Swati January 21, 2009 at 10:57 PM  

मेरे दिल को है तेरे दिल से मिला .
तुम मुझे बस यूँही प्यार करते रहो ,
बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......

Ritu January 21, 2009 at 11:04 PM  

मेरी दुनिया को था बस तेरा इंतज़ार ,
इसको महका दिया तुने जाने बहार ,
इस चमन में खड़े मुस्कुराते रहो ,

Sagarika January 21, 2009 at 11:26 PM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar January 21, 2009 at 11:30 PM  

Seema Ji,
Prem kee bahut achchhee kavita likhi apne .sundar bhav,sundar abhivyakti.Badhai.
HemantKumar

Richa Sharma January 21, 2009 at 11:40 PM  

मेरे दिल को है तेरे दिल से मिला .
तुम मुझे बस यूँही प्यार करते रहो ,
बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......

Parul January 21, 2009 at 11:48 PM  

sundar rachna seemajee

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

Regards

Ruchi January 22, 2009 at 12:04 AM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

Rohit Sharma January 22, 2009 at 12:31 AM  

मेरी दुनिया को था बस तेरा इंतज़ार ,
इसको महका दिया तुने जाने बहार ,
इस चमन में खड़े मुस्कुराते रहो ,

Prachi Pandey January 22, 2009 at 12:56 AM  

दिन गुज़र जाने पर रात होती है यूँ ,
दिल से तेरे मेरी बात होती है यूँ ,
मुझसे तुम बस यूँही बात करते रहो

Shreya Rajput January 22, 2009 at 1:13 AM  

beautiful com[position
Regards

Austeen Sufi January 22, 2009 at 1:23 AM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

Dr. Palki Vajpayee January 22, 2009 at 6:34 AM  

दिन गुज़र जाने पर रात होती है यूँ ,
दिल से तेरे मेरी बात होती है यूँ ,
मुझसे तुम बस यूँही बात करते रहो


बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......
sundar seem jee

Dr. Neha Srivastav January 22, 2009 at 7:51 AM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

Anonymous,  January 22, 2009 at 8:25 AM  

मेरी दुनिया को था बस तेरा इंतज़ार ,
इसको महका दिया तुने जाने बहार ,
इस चमन में खड़े मुस्कुराते रहो

Anonymous,  January 22, 2009 at 9:11 AM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

Er. Nidhi Mishra January 22, 2009 at 9:21 AM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,


बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......


मेरी दुनिया को था बस तेरा इंतज़ार ,
इसको महका दिया तुने जाने बहार ,
इस चमन में खड़े मुस्कुराते रहो

sUNDAR RACHNA SEEMAJEE
REGARDS

Anonymous,  January 22, 2009 at 2:01 PM  

मेरी दुनिया को था बस तेरा इंतज़ार ,
इसको महका दिया तुने जाने बहार ,
इस चमन में खड़े मुस्कुराते रहो ,

Ashok January 22, 2009 at 3:59 PM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

Pallavi January 22, 2009 at 7:23 PM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

Er. Paayal Sharma January 22, 2009 at 9:07 PM  

मेरी दुनिया को था बस तेरा इंतज़ार ,
इसको महका दिया तुने जाने बहार ,
इस चमन में खड़े मुस्कुराते रहो

Dr. Pragya bajaj January 23, 2009 at 5:56 AM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,


बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......

Anita January 23, 2009 at 6:35 AM  

सुंदत रचना सीमाजी
बधाई और धन्यवाद



दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,


बस यूँही , बस यूँही ,बस यूँही ......


मेरी दुनिया को था बस तेरा इंतज़ार ,
इसको महका दिया तुने जाने बहार ,
इस चमन में खड़े मुस्कुराते रहो

Ria January 23, 2009 at 11:23 PM  

दिल में मेरे जला कर मोहब्बत के दीप ,
तुम ने उम्मीद को कर दिया है समीप ,
इनको बुझने ना देना जलाते रहो ,

Anonymous,  January 24, 2009 at 9:47 AM  

मेरी दुनिया को था बस तेरा इंतज़ार ,
इसको महका दिया तुने जाने बहार ,
इस चमन में खड़े मुस्कुराते रहो ,

amitabhpriyadarshi January 25, 2009 at 12:53 AM  

mujhe laga kahi na kahi kuch apni si baat kahi mgaye hai. bhoot achha.

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